(मीलदे मुस्तफा 04)

0

(मीलदे मुस्तफा 04)

सवाल 4 : क्या हुज़ूरे अकदस ﷺ की विलादत की खुशी मनाने पर फ़ाइदा पहुँचता है ? 

जवाब 4 : जी हाँ ! अबू लहब जो कुफ़्र की हालत में मरा, उसका मामला ये था कि उसने रसूलुल्लाह ﷺ की वीलादत के बाद अपनी बाकी बची ज़िन्दगी इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम की मुखालफत में गुज़ारी लेकिन उसके मरने के बाद रसूल ﷺ के चचा हज़रत अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने उसको ख़्वाब में देखा, आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने उससे पूछा कि मरने के बाद तुझ पर क्या गुज़री ? उसने जवाब दिया कि मैं दिन रात सख़्त अज़ाब में मुब्तला हूँ लेकिन जब पीर का दिन आता है तो मेरे अज़ाब में कमी कर दी जाती है और मेरी उँगलियों से पानी जारी हो जाता है, जिसे पीकर मुझे सुकून मिलता है। अज़ाब में कमी की वजह ये है कि मैंने पीर के दिन अपने भतीजे ( मुहम्मद ﷺ ) की विलादत की खुशख़बरी सुन कर अपनी ख़ादिमा सुवैबा को इन उँगलियों का इशारा करते हुए आज़ाद कर दिया था। ( सहीह बुखारी, हदीस : 5101 )(ईद मीलादुन्नबी सवाल व जवाब की रोशनी में सफह 10)

सवाल 5: क्या हुज़ूरे अकदस ﷺ की विलादत की खुशी मनाने पर फ़ाइदा पहुँचता है ? 

जवाब 5 : ये वाकिया हज़रत ज़ैनब बिन्ते अबी सलमा रादिअल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है जिसे मुहद्दिसीन की बड़ी तादाद ने मीलाद के वाकिया के बयान में नक़्ल किया है। 

 सहीह बुखारी की रिवायत है, उरवा ने बयान किया है कि सुवैबा अबू लहब की आज़ाद की हुई बाँदी है। अबू लहब ने उसे आज़ाद किया तो उसने नबी ए करीम ﷺ को दूध पिलाया। पस जब अबू लहब मर गया तो उसके बाज़ घर वालों को वो बुरे हाल में दिखाया गया। उसने उससे ( यानी अबू लहब से ) पूछाः तूने क्या पाया ? " अबू लहब बोला : मेंने तुम्हारे बाद कोई राहत नहीं पाई सिवाए इसके कि सुवैबा को आज़ाद करने की वजह से जो इस ( उँगली ) से पिलाया जाता है। ( सहीह बुखारी, हदीस : 5101 )(ईद मीलादुन्नबी सवाल व जवाब की रोशनी में सफह 11)

सवाल 6  :क्या हुज़ूरे अकदस ﷺ की विलादत की खुशी मनाने पर फ़ाइदा पहुँचता है ? 

जवाब 6 : शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिस देहलवी ( 958-1052 हिजरी ) इस रिवायत को बयान करने के बाद लिखते हैं कि ये रिवायत मीलाद के मौके पर खुशी मनाने और सदका व ख़ैरात करने वालों के लिये दलील और सनद है। अबू लहब जिसकी मज़म्मत ( बुराई ) में कुरआन पाक में एक पूरी सूरए नाज़िल हुई जब वो हुज़ूर ﷺ की विलादत की खुशी में लौंडी आज़ाद करके अज़ाब में कमी हासिल कर लेता है तो उस मुसलमान की खुश - नसीबी का क्या आलम होगा जो अपने दिल में रसूल ﷺ की मुहब्बत की वजह से मीलादुन्नबी ﷺ के दिन मुहब्बत और अकीदत का इज़हार करे। ( मदारिजुन्नुबुव्वा हिस्साः 2 , पेजः 19 ) 

    दोस्तो ज़रा गौर करो ! अबू लहब जैसे काफ़िर को जब मीलादुन्नबी ﷺ पर खुशी मनाने पर फाइदा मिला तो हम मुस्तफा ﷺ के आशिक क्योंकर महरूम रह सकते हैं ?(ईद मीलादुन्नबी सवाल व जवाब की रोशनी में सफह 11)


मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी
बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ
8294938262



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top